स्वछंद उन्मुक्त फिजाओं मे पक्षी विचरें हरित तरुवर झूमेंगे अपनी मस्ती में। स्वछंद उन्मुक्त फिजाओं मे पक्षी विचरें हरित तरुवर झूमेंगे अपनी मस्ती में।
देश के इन बढ़ते ढलते हालातों में मस्जिद के नमाज तथा मंदिर के घंटो में देश के इन बढ़ते ढलते हालातों में मस्जिद के नमाज तथा मंदिर के घंटो में
क्या काम वाली बाई घर आई फिर मैं कैसे मान लूं बेटी है पराई। क्या काम वाली बाई घर आई फिर मैं कैसे मान लूं बेटी है पराई।
जाता है अपने समय पर पर कुछ अच्छी यादें और कुछ सबक भी दे जाता है। जाता है अपने समय पर पर कुछ अच्छी यादें और कुछ सबक भी दे जाता है।
अब तुम ही बता दो जिंदगी बितानी है तो मैं उसे चुनूँ या नहीं। अब तुम ही बता दो जिंदगी बितानी है तो मैं उसे चुनूँ या नहीं।
(एक बालक ISRO की कामियाबी से प्रभावित हो कर क्या कहता है, यह एक कविता के माध्यम से (एक बालक ISRO की कामियाबी से प्रभावित हो कर क्या कहता है, यह एक कविता के माध्य...